SCO summit: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत की तरफ से आतंकवाद पर एकजुट होने की बात कही गई थी। हमारी तरफ से भारत की चिंताओं को भी साझा करने की बात कही गई जिस पर एक देश ने सहमति नहीं जताई, जिसके कारण हस्ताक्षर नहीं हो सके।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन में दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। अब विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को विस्तार से बात की है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान को लेकर कई मुद्दों, खासतौर पर आतंकवाद को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है, इसी वजह इस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हमारे रक्षा मंत्री ने भाग लिया था। दो दिन चली यह बैठक आज समाप्त हो गई है। चूंकि कुछ सदस्य देश संयुक्त बयान के प्रस्ताव पर आम सहमति नहीं बना सके और इसलिए दस्तावेजों को औपचारिक रूप नहीं दिया जा सका।”
जायसवाल ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, “हमारी ओर से यह बताया गया कि भारत चाहता है कि संयुक्त बयान में आतंकवाद पर हमारी चिंताओं को दर्शाया जाए.. लेकिन इस बात को लेकर एक खास देश ने अपनी असहमति जताई, जिसके बाद बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए गए।”
जायसवाल ने एससीओ समिट में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए बयान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री ने समिट में मौजूद सभी सदस्यों से आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होने और आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने का आग्रह किया। जायसवाल ने कहा, “रक्षामंत्री ने वहां पर यह भी दोहराया कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद और इसके अपराधियों, आयोजकों और वित्तपोषकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
इतना ही नहीं रक्षा मंत्री ने चीन की धरती से पाकिस्तान को भी खूब लताड़ लगाई थी। ऑपरेशन सिंदूर की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को अब कतई बर्दाश्त न करने की नीति अपना रहा है।
इससे पहले, समिट को लेकर जो रिपोर्ट्स सामने आई थीं उनमें कहा गया था कि दस्तावेजों में आतंकवाद के मु्द्दे पर पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था, जबकि बलूचिस्तान को शामिल किया गया था।