सीतामढ़ी: बिहार में चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राज्य सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं के जरिए जनता को साधने की कोशिश में जुट गई है. हाल ही में बिहार कैबिनेट की बैठक में एक ऐसा बड़ा फैसला लिया गया, जो चुनावी समीकरणों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जाति आधारित सर्वेक्षण के आधार पर राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों को दो-दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की मंजूरी दे दी गई. अगर एक परिवार में औसतन चार सदस्य माने जाएं, तो यह योजना सीधे तौर पर लगभग चार करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करेगी. ऐसे में यह फैसला सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का एक बड़ा दांव भी माना जा रहा है.
सीतामढ़ी के युवाओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया
मॉर्निंग वॉक पर निकले धीरज कुमार ने कहा, ‘यह बेहद दुखद है कि आज भी बिहार में 94 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 6 हजार रुपये से भी कम है. 2005 से अब तक सुशासन की सरकार रही है, लेकिन आज भी राज्य आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहा है.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिर्फ पैसे देना समाधान नहीं है, सरकार को इन लोगों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी देना चाहिए, जिससे वह पैसे का सही उपयोग कर सकें. वहीं, व्यवसायी अवनीश कुमार ने सुझाव दिया कि सरकार को पहले मूलभूत संरचना तैयार करनी चाहिए, ताकि योजनाओं का लाभ सही तरीके से लोगों तक पहुंचे. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत भी पहले पैसे दिए गए, लेकिन कई लोगों ने उसका गलत उपयोग किया. इसलिए इस बार सरकार को निगरानी तंत्र मजबूत करना चाहिए.
बिचौलियों से बचाकर लाभुकों को मिले सीधा लाभ
रितुल झा और पारस कुमार ने योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह एक सुनहरा अवसर है. उन्होंने कहा, अगर लोग इसे रोजगार शुरू करने में लगाएं, तो उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव आ सकता है. 6 हजार की नौकरी से निकलकर खुद का व्यवसाय करना एक बड़ी उपलब्धि होगी. वहीं वीरू कुमार ने भी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि गरीबों के उत्थान के लिए यह कदम जरूरी था. उन्होंने कहा, सरकार सही दिशा में काम कर रही है, अब जनता की जिम्मेदारी है कि इस मौके का भरपूर लाभ उठाएं. युवाओं की राय में सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस योजना में बिचौलियों का हस्तक्षेप न हो. कई बार देखा गया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक नहीं पहुंच पाता और बीच में भ्रष्टाचार पनपता है. इसके लिए जरूरी है कि सरकार सीधे खाते में पैसे ट्रांसफर करे और हर लाभार्थी के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र की व्यवस्था करें.