होम राजनीति 94 लाख परिवारों की आय मात्र 6 हजार, सरकार देगी 2 लाख, युवा बोले- बिचौलियों से बचाकर लाभुकों को मिले लाभ

94 लाख परिवारों की आय मात्र 6 हजार, सरकार देगी 2 लाख, युवा बोले- बिचौलियों से बचाकर लाभुकों को मिले लाभ

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सीतामढ़ी: बिहार में चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राज्य सरकार अपनी नीतियों और योजनाओं के जरिए जनता को साधने की कोशिश में जुट गई है. हाल ही में बिहार कैबिनेट की बैठक में एक ऐसा बड़ा फैसला लिया गया, जो चुनावी समीकरणों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जाति आधारित सर्वेक्षण के आधार पर राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों को दो-दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की मंजूरी दे दी गई. अगर एक परिवार में औसतन चार सदस्य माने जाएं, तो यह योजना सीधे तौर पर लगभग चार करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करेगी. ऐसे में यह फैसला सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का एक बड़ा दांव भी माना जा रहा है.

सीतामढ़ी के लोगों ने कहा कि बिहार सरकार का यह फैसला चुनावी नजरिए से भले ही एक बड़ी रणनीति हो, लेकिन अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह राज्य के लाखों गरीब परिवारों की आर्थिक तस्वीर बदल सकता है. सबसे जरूरी बात यह होगी कि योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे, पारदर्शिता बनी रहे, और लोग इस राशि का उपयोग रोजगार, व्यवसाय या कौशल विकास में करें. इस मुद्दे पर सीतामढ़ी शहर के युवाओं और व्यवसायियों से बातचीत की गई, जिनकी प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि जनता में इस योजना को लेकर उम्मीदें भी हैं और चिंताएं भी. कुछ लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि अगर सरकार सीधे पैसे देने के बजाय इस पैसे से छोटे उद्योग या कारखाने स्थापित कर दे, तो लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति में दीर्घकालिक सुधार हो सकेगा. इससे ना केवल बेरोजगारी घटेगी, बल्कि आत्मनिर्भर बिहार की ओर भी एक कदम बढ़ेगा.

सीतामढ़ी के युवाओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया
मॉर्निंग वॉक पर निकले धीरज कुमार ने कहा, ‘यह बेहद दुखद है कि आज भी बिहार में 94 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 6 हजार रुपये से भी कम है. 2005 से अब तक सुशासन की सरकार रही है, लेकिन आज भी राज्य आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहा है.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिर्फ पैसे देना समाधान नहीं है, सरकार को इन लोगों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी देना चाहिए, जिससे वह पैसे का सही उपयोग कर सकें. वहीं, व्यवसायी अवनीश कुमार ने सुझाव दिया कि सरकार को पहले मूलभूत संरचना तैयार करनी चाहिए, ताकि योजनाओं का लाभ सही तरीके से लोगों तक पहुंचे. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत भी पहले पैसे दिए गए, लेकिन कई लोगों ने उसका गलत उपयोग किया. इसलिए इस बार सरकार को निगरानी तंत्र मजबूत करना चाहिए.

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बिचौलियों से बचाकर लाभुकों को मिले सीधा लाभ
रितुल झा और पारस कुमार ने योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह एक सुनहरा अवसर है. उन्होंने कहा, अगर लोग इसे रोजगार शुरू करने में लगाएं, तो उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव आ सकता है. 6 हजार की नौकरी से निकलकर खुद का व्यवसाय करना एक बड़ी उपलब्धि होगी. वहीं वीरू कुमार ने भी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि गरीबों के उत्थान के लिए यह कदम जरूरी था. उन्होंने कहा, सरकार सही दिशा में काम कर रही है, अब जनता की जिम्मेदारी है कि इस मौके का भरपूर लाभ उठाएं. युवाओं की राय में सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस योजना में बिचौलियों का हस्तक्षेप न हो. कई बार देखा गया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक नहीं पहुंच पाता और बीच में भ्रष्टाचार पनपता है. इसके लिए जरूरी है कि सरकार सीधे खाते में पैसे ट्रांसफर करे और हर लाभार्थी के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र की व्यवस्था करें.

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