शशि थरूर ने एक बार फिर अपने भाषाई कौशल और भारत के रुख को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखने की मिसाल पेश की। उन्होंने मॉस्को में एक बैठक के दौरान पाकिस्तान को आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह करार दिया।
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर सिर्फ अंग्रेज़ी के लिए ही मशहूर नहीं हैं, बल्कि फ्रेंच भाषा पर भी उनकी जबरदस्त पकड़ है। इसका बेहतरीन उदाहरण रूस के मॉस्को में देखने को मिला, जहां उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान न केवल फ्रेंच में धाराप्रवाह भाषण दिया, बल्कि उसी लहजे में पाकिस्तान को “आतंकवाद का सुरक्षित पनाहगाह” बताते हुए उसे कठघरे में भी खड़ा कर दिया।
रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित एक बैठक में शशि थरूर ने रूसी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के चेयरमैन लियोनिद स्लट्स्की से मुलाकात की। जब स्लट्स्की ने फ्रेंच में बात शुरू की तो थरूर ने भी उतनी ही धाराप्रवाह फ्रेंच में जवाब दिया। इसी दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “एक ऐसा देश है जो दुर्भाग्यवश आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराता है। वे अपने देश में इनके मुख्यालय चलाते हैं, उन्हें प्रशिक्षण देते हैं, हथियार और फंडिंग मुहैया कराते हैं और फिर इन आतंकियों को दूसरे देशों में भेजते हैं।”
आतंकवाद का सेफ हेवन पाक
थरूर ने आगे कहा कि, “हमें इस सच्चाई को नजरअंदाज़ करना मुश्किल है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का सेफ हेवन है।” उनका यह बयान उस समय आया जब स्लट्स्की ने एक प्रस्तावित छह देशों की आतंकवाद विरोधी बैठक का ज़िक्र किया, जिसमें पाकिस्तान को भी शामिल करने की बात कही गई थी। यह सम्मेलन तुर्किये, ईरान, रूस, भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच प्रस्तावित है, जिसका समय और स्थान अभी तय नहीं हुआ है।
थरूर का फ्रेंच में दिया गया यह बयान सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया है और यूजर्स उनकी भाषाई पकड़ और राजनीतिक स्पष्टता की खूब तारीफ कर रहे हैं।
बैठक के बाद थरूर ने X पर लिखा, “मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष स्लट्स्की से दोबारा मिलकर अच्छा लगा। कुछ महीने पहले वे भारत की संसद आए थे। इस मुलाकात में हमने क्षेत्रीय शांति, ऑपरेशन सिंदूर और भावी संसदीय सहयोग के संभावित रास्तों पर चर्चा की।”
गौरतलब है कि शशि थरूर हाल ही में भारत सरकार के वैश्विक आउटरीच कार्यक्रम ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका मकसद दुनिया को भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति और रुख से अवगत कराना है।