अयातुल्ला अली खामेनेई और न्यूक्लियर पावर.
ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को एनर्जी प्रोडक्शन और सिविल यूज के लिए बताता आया है. इजराइल के तमाम आरोपों के बावजूद किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने ये साफ तौर पर नहीं कहा है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. लेकिन मई में आई एक संस्था की रिपोर्ट ने इसको पलट दिया था, कई जानकारों का मानना है कि यही रिपोर्ट इजराइल ईरान जंग की शुरुआती वजह बनी.
वैश्विक खतरों पर हर साल रिपोर्ट जारी करने वाली ऑस्ट्रिया की घरेलू खुफिया सेवा (DSN) ने 28 मई में कहा कि ईरान का ‘परमाणु हथियार विकास कार्यक्रम काफी आगे बढ़ चुका है’. अमेरिका, इजराइल और अन्य पश्चिमी देशों ने बार-बार ईरान पर परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. लेकिन ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई जब अमेरिका और ईरान एक परमाणु समझौते पर चर्चा के लिए आगे बढ़ रहे थे. इसी रिपोर्ट के करीब दो हफ्तों बाद इजराइल ने ईरान पर हमला कर दिया.
शुरू हो गया था युद्ध
इस रिपोर्ट के आने के बाद इजराइल में चिंता बढ़ गई थी. अमेरिका के साथ वार्ता के बीच ही इजराइल ने 13 जून को ईरान पर हमला कर दिया है. बाद में 21 जून को अमेरिका भी इस युद्ध में कूद गया और ईरान की तीन परमाणु सुविधाओं नतांज. इस्फ़हान और फोर्डों पर भीषण बमबारी कर दी और ट्रंप ने दावा किया कि उसने ईरान के परमाणु प्रोग्राम को तबाह कर दिया है.
ऑस्ट्रिया के दावों का खंडन
ईरान ने रिपोर्ट के जारी होने के बाद इन दावों का साफ रूप से खंडन किया है, इसके बजाय तर्क दिया है कि वह केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम चला रहा है.
ईरान के विदेश विभाग ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से इस्लामिक रिपब्लिक के खिलाफ ‘मीडिया में सनसनी फैलाने’ के लिए तैयार की गई है और इसलिए इसमें ‘कोई वैधता या विश्वसनीयता नहीं है.’
उन्होंने ऑस्ट्रियाई सरकार से DSN के ‘गैर-जिम्मेदाराना, उत्तेजक और विनाशकारी’ व्यवहार के बारे में स्पष्टीकरण देने का भी आग्रह किया, जो ईरान के बारे में झूठ फैला रहा है.
क्या कहती IAEA?
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के मुताबिक ईरान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो 60 फीसद तक यूरेनियम का संवर्धन करता है. यह दर अभी भी परमाणु हथियार के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत सीमा से कम है, लेकिन विश्व शक्तियों के साथ 2015 के समझौते के तहत निर्धारित 3.67 प्रतिशत की सीमा से कहीं अधिक है.