नेतन्याहू और ट्रम्प
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान के परमाणु साइटों पर हमले के फैसले का सपोर्ट किया है. नेतन्याहू ने अपने ऑफिसीयल सोशल मीडिया एक्स अकाउंट के जरिए कहा कि ट्रम्प ने अमेरिका के सर्वोत्तम हित में काम किया है.
साथ ही उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट की उस खबर को बकवास करार दिया, जिसमें दावा किया गया था कि इजरायल ने ट्रम्प को यह साहसिक कदम उठाने के लिए मजबूर किया है. नेतन्याहू ने बताया कि ट्रम्प ने इजरायल के पास मौजूदा खुफिया जानकारी के आधार पर फैसला लिया है. उन्होंने ट्रम्प की डिसीजन मेंकिंग की तारीफ की. इसके साथ ही उन्हें इजरायल का जबरदस्त दोस्त भी बताया. यह पोस्ट इजरायल और अमेरिका के बीच मजबूत रिश्तों को दिखाती है. नेतन्याहू का यह बयान उस समय आया है, जब ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है.
Prime Minister Benjamin Netanyahu:
The Washington Post story suggesting that Israel pushed President Trump into his bold decision to bomb Iranian nuclear sites is nonsense.
»— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) June 25, 2025
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या था?
ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार उबाल पर है, लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट ने इस टकराव के पीछे की प्लानिंग से पर्दा उठा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अप्रैल में मुलाकात करने से पहले ही ईरान पर हमला करने का फैसला कर लिया था. यह हमला किसी अचानक मिली खुफिया सूचना के आधार पर नहीं, बल्कि महीनों पहले बनाई गई स्ट्रेटजी का हिस्सा था.
President Trump acted in the best interest of the USA based on the same intel we had. We are grateful to President Trump for his decisive leadership and for being a tremendous friend to Israel!
— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) June 25, 2025
ईरान पर हमले की तैयारियां पहले से चल रही थीं
अक्टूबर 2024 में इजरायली वायुसेना और खुफिया एजेंसियों ने ईरान की हवाई सुरक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया था और हिज्बुल्लाह को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया था. इजरायली एजेंसियों ने ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों की एक हिट लिस्ट तैयार की, जिससे यह साफ था कि यह हमला महज समय का इंतजार कर रहा था. मार्च 2025 तक, इजरायल इस नतीजे पर पहुंच चुका था कि चाहे अमेरिका साथ आए या नहीं, जून तक ईरान पर हमला करना ही होगा. इजरायली टीवी पर नेतन्याहू ने साफ शब्दों में कहा कि ‘हम वैज्ञानिकों को निशाना बनाएंगे और उन्हें खत्म करेंगे.’
संदेह था कि ईरानी वैज्ञानिक दोबारा परमाणु हथियारों को बनाएंगे: मोसाद
हालांकि इजरायली खुफिया एजेंसियों को संदेह था कि ईरानी वैज्ञानिक दोबारा परमाणु हथियारों पर काम कर रहे हैं. जिसके चलते डोनाल्ड ट्रंप ने इन आकलनों को खारिज करते हुए कहा कि ईरान परमाणु बम हासिल करने के ‘बहुत करीब’ है. पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारी डैनी सिट्रिनोविच ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि ‘हमें कूटनीतिक रास्ते को भी एक मौका देना चाहिए था. ऑपरेशन से हमें सैन्य सफलता तो मिली है, लेकिन इसका रणनीतिक जोखिम बहुत भारी है.’