पूर्व DSP गुरशेर सिंह संधू ने दलील दी थी कि एफआईआर में आरोपी के तौर पर नाम न होने के बावजूद उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत तलब किया जा रहा है। उनके वकील ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
जेल के अंदर कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (24 जून) को सख्त नाराजगी जताते हुए पंजाब पुलिस के पूर्व पुलिस अधीक्षक (DSP) गुरशेर सिंह संधू की याचिका ना सिर्फ खारिज कर दी बल्कि नाराजगी जताते हुए पूछा कि जेल के अंदर रिपोर्टर कैसे पहुंचा। संधू ने अपनी याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी करने को चुनौती दी थी।
जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने कहा कि संधू की रिट याचिका, जिसमें इसी तरह की घटना से उत्पन्न कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई है, पहले से ही पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है और 3 जुलाई को उस पर सुनवाई होनी है। पीठ ने संधू की अर्जी वापस लिया हुआ मानकर खारिज करते हुए उनसे पूछा कि रिपोर्टर को लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू लेने के लिए जेल में कैसे पहुंचाया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिश्नोई के साक्षात्कार से एक रात पहले संधू ही प्रभारी थे।
जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा: संधू
संधू ने दलील दी थी कि एफआईआर में आरोपी के तौर पर नाम न होने के बावजूद उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत तलब किया जा रहा है। उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि यह नोटिस तब भी जारी किया जा रहा है, जब साक्षात्कार रिकॉर्ड करने वाले पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम संरक्षण हासिल कर लिया है। उन्होंने तर्क दिया कि संधू की कभी बिश्नोई तक पहुंच नहीं थी और उन्हें चुनिंदा तरीके से जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
2023 का है विवाद
यह विवाद सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के आरोपी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के टेलीविजन साक्षात्कारों से उत्पन्न हुआ है, जिन्हें मार्च 2023 में एबीपी सांझा द्वारा प्रसारित किया गया था। उस वक्त बिश्नोई हिरासत में जेल में बंद था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस इंटरव्यू के प्रसारण के बाद जेलों में मोबाइल फोन के उपयोग का स्वतः संज्ञान लिया था और साक्षात्कार की परिस्थितियों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।