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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर बिहार नेताओं ने लोकतंत्र रक्षा का संकल्प दोहराया

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50 Years of Emergency: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एनडीए के नेता लगातार विरोधी कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हैं. बिहार के नेताओं ने 25 जून 1975 की याद में विभिन्न संबोधनों में लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया. ड…और पढ़ें

एनडीए के सम्राट चौधरी, चिराग पासवान और विजय सिन्हा ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया.

हाइलाइट्स

  • बिहार नेताओं ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर लोकतंत्र रक्षा का संकल्प लिया.
  • विजय सिन्हा, सम्राट चौधरी और चिराग पासवान ने आपातकाल को काला धब्बा बताया.
  • बिहार एनडीए के नेताओं ने नई पीढ़ी से आपातकाल के सबक लेने की अपील की.

पटना. भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है 25 जून 1975 की तारीख. इसी दिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर देश की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्यायपालिका और संवैधानिक मूल्यों को कुचल दिया था. इसकी 50वीं वर्षगांठ पर बिहार के नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प दोहराया और जेपी आंदोलन के संघर्ष को याद किया. बिहार के उपमुख्यमंत्रियों विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी, साथ ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने आपातकाल के दमनकारी दौर को याद करते हुए इसके सबक और भविष्य की रणनीति पर जोर दिया. नेताओं ने कहा कि बिहार जेपी आंदोलन का गढ़ रहा और आज भी लोकतंत्र की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाएगा. सभी नेताओं ने एक स्वर में आपातकाल को लोकतंत्र पर काला धब्बा बताया और नई पीढ़ी से इसके सबक लेने की अपील की.

बिहार ने हमेशा लोकतंत्र की रक्षा की-बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने आपातकाल को स्वतंत्र भारत का काला दिन करार देते हुए कहा कि यह तत्कालीन सरकार की तानाशाही का प्रतीक था. उन्होंने कहा, 25 जून 1975 को जनता की आवाज को दबाया गया, लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए आंदोलन ने लोकतंत्र की रक्षा की. मैंने भी अपने साथियों के साथ इस आंदोलन में हिस्सा लिया और तानाशाही के खिलाफ जेल की सजा भुगती. सिन्हा ने बिहार को लोकतंत्र की धरती बताते हुए कहा कि यह राज्य हमेशा संविधान, न्याय और स्वतंत्रता के लिए लड़ा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहारवासियों की जिम्मेदारी है कि वे हर परिस्थिति में लोकतंत्र की रक्षा करें. सिन्हा ने संकल्प लिया कि संविधान के आदर्शों की रक्षा के लिए वे सजग रहेंगे.

आपातकाल ने संविधान की हत्या की-सम्राट चौधरी

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आपातकाल को संविधान पर हमला बताते हुए कहा, 1 नवंबर 1949 को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान दिया उसे 25 साल बाद 1975 में कुचल दिया गया. यह लोकतंत्र की हत्या थी. उन्होंने जेपी आंदोलन को याद करते हुए कहा कि इस आंदोलन से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जैसे नेता उभरे, लेकिन कुछ लोग बाद में कांग्रेस की गोद में जा बैठे. सम्राट चौधरी ने कहा, कांग्रेस ने 162 बार राष्ट्रपति शासन लगाकर लोकतंत्र को कमजोर किया. 1975 में पहली बार ‘सेकुलर’ शब्द संविधान में जोड़ा गया, लेकिन कश्मीर को इसका लाभ तभी मिला जब आपातकाल हटा. उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि भारत आज मेक इन इंडिया के तहत सोने की चिड़िया बनने की राह पर है. चौधरी ने नौजवानों से अपील की कि वे आपातकाल के दमनकारी इतिहास को समझें और संविधान की रक्षा करें.

पिता रामविलास पासवान का संघर्ष प्रेरणा-चिराग पासवान

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताया. उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान के जेपी आंदोलन में योगदान को याद किया. चिराग ने कहा, पापा ने मुझे आपातकाल की भयावह कहानियां सुनाई थीं. वे जेपी आंदोलन के युवा नेता थे और मीसा एक्ट के तहत 17 महीने जेल में रहे. उनका संघर्ष केवल सत्ता के खिलाफ नहीं, बल्कि कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए था. चिराग ने तंज कसते हुए कहा कि आज कुछ नेता जो खुद को जेपी का अनुयायी कहते हैं, कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन में शामिल हैं. उन्होंने कहा, ये वही लोग हैं जिन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था, लेकिन अब अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए कांग्रेस के साथ खड़े हैं. चिराग ने आपातकाल के सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान लोकतंत्र की जीवंतता का आधार है.

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Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें

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50 साल बाद भी गूंजता आपातकाल का सबक,नेताओं ने लिया लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प

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