रिलायंस ब्रांड्स ने दुनिया भर की 85 से ज्यादा शानदार लग्जरी कंपनियों के साथ भागीदारी की है। इनमें बर्बरी, बोटेगा वेनेटा, टिफनी एंड कंपनी और प्रेट अ मांजे जैसे बड़े नाम शामिल हैं। भारत में उच्च फैशन और वैश्विक ब्रांड्स के वितरण में रिलायंस ब्रांड्स की भूमिका अहम रही है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल ब्रांच, रिलायंस रिटेल, जल्द ही शेयर मार्केट में उतरने वाली है। आईपीओ से पहले कंपनी ने एक अहम कदम उठाया है। रिलायंस रिटेल की ही लग्जरी और प्रीमियम रिटेल कंपनी ‘रिलायंस ब्रांड्स’ अब पूरी तरह से अपने पैरेंट कंपनी में विलय हो जाएगी। यह जानकारी उन लोगों ने दी, जो इस योजना से वाकिफ हैं।
इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक यह मर्जर रिलायंस रिटेल की बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद है कारोबार को और कारगर बनाना। पिछले कुछ समय से ग्राहकों की मांग सुस्त रही है, ऐसे में कंपनी अपने कारोबारी ढांचे को सुचारू बनाना चाहती है। रिलायंस ब्रांड्स, जिसकी शुरुआत 2007 में हुई थी, अब रिलायंस रिटेल के भीतर ही एक अलग डिवीजन के तौर पर काम करेगी।
मर्जर से क्या होगा फायदा
इस कदम से दोहराव वाले काम खत्म होंगे। जैसे कि प्रॉपर्टी का प्रबंधन, दुकानों का संचालन और बैक-एंड टीम्स जैसे काम अब एक ही छत के नीचे आ जाएंगे। इससे न सिर्फ काम की बारंबारता कम होगी बल्कि कंपनी की संरचना भी पहले से ज्यादा सक्षम होगी। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, “इससे कंपनी को बेहतर कार्यक्षमता मिलेगी और कामों की नकल करने से बचा जा सकेगा। अब ध्यान बेहतर प्रबंधन पर होगा।” रिलायंस ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
85 से ज्यादा लग्जरी कंपनियों के साथ भागीदारी
रिलायंस ब्रांड्स ने दुनिया भर की 85 से ज्यादा शानदार लग्जरी कंपनियों के साथ भागीदारी की है। इनमें बर्बरी, बोटेगा वेनेटा, टिफनी एंड कंपनी और प्रेट अ मांजे जैसे बड़े नाम शामिल हैं। भारत में उच्च फैशन और वैश्विक ब्रांड्स के वितरण में रिलायंस ब्रांड्स की भूमिका अहम रही है।
कंपनी ने रिलायंस ब्रांड्स के लिए कोई नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) या अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया है। पहले से ही इसके व्यापारिक प्रमुख सीधे रिलायंस रिटेल के बोर्ड को रिपोर्ट करते रहे हैं। यह नया प्रबंधन ढांचा दिखाता है कि लग्जरी डिवीजन को अब समूह के केंद्रीय नेतृत्व और निर्णय लेने की प्रणाली में और बेहतर तरीके से जोड़ा जा रहा है।
कैसे रहे वित्तीय नतीजे
वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) में रिलायंस रिटेल ने अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए देश भर में 2,155 दुकानें बंद कीं। यह संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी से भी ज़्यादा है। मार्च के अंत तक कंपनी के पास 77.4 मिलियन वर्ग फुट रिटेल स्पेस था। FY25 में उसका शुद्ध राजस्व 8% बढ़कर 2,90,979 करोड़ रुपये रहा और शुद्ध मुनाफा 12% बढ़कर 12,392 करोड़ रुपये हुआ।
रिलायंस ब्रांड्स का राजस्व भी FY24 में 12% बढ़कर 2,684 करोड़ रुपये हो गया, हालांकि उसके शुद्ध नुकसान में भी इजाफा हुआ। पर ये आंकड़े उन सभी ब्रांड्स और ज्वाइंट वेंचर्स को नहीं दिखाते जो या तो रिलायंस रिटेल वेंचर्स का हिस्सा हैं या फिर अपनी खुद की अनलिस्टेड कंपनी चलाते हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए अब रिटेल सेगमेंट की भूमिका काफी बढ़ गई है। इससे होने वाली कमाई (EBITDA) यानी ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई) अब कंपनी की कुल कमाई का 15% हिस्सा है, जबकि चार साल पहले यह सिर्फ 10% थी।
विशेषज्ञों का क्या मानना है
विशेषज्ञों का मानना है कि रिलायंस ब्रांड्स को रिलायंस के दूसरे रिटेल कारोबारों से अलग रणनीति की जरूरत है। दिग्गज रिटेल पेशेवर और शॉपर्स स्टॉप के पूर्व सीईओ गोविंद श्रीखंडे ने कहा, “अगर ग्राहकों का ध्यान खींचना है, तो रिलायंस रिटेल को तीन अलग-अलग कंपनियों में बांट देना चाहिए। एक लग्जरी ब्रांड्स के लिए, एक किराना के लिए और एक फैशन ब्रांड्स के लिए। क्योंकि, इन तीनों को सामान खरीदने का तरीका (सोर्सिंग), सप्लाई चेन और प्रबंधन अलग-अलग तरह के होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “सभी कंपनियों को एक साथ लाने के बावजूद उन्हें अलग-अलग प्रबंधित करने से कंपनी की कीमत (वैल्यूएशन) बेहतर हो सकती है।”