होम झारखंड झारखंड का सारंडा जंगल बनेगा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद् डॉ आरके सिंह Saranda Jungle become wildlife sanctuary Dr RK Singh fighting in the Supreme Court

झारखंड का सारंडा जंगल बनेगा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद् डॉ आरके सिंह Saranda Jungle become wildlife sanctuary Dr RK Singh fighting in the Supreme Court

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Saranda Jungle: जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह-झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले का सारंडा जंगल अब वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनने की दिशा में अग्रसर है. झारखंड सरकार की ओर से इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर कर दिया गया है. इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जानेवाले याचिकाकर्ता और पर्यावरणविद् डॉ. आरके सिंह ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि अब इस प्रस्ताव में बड़े संशोधन की संभावना नहीं है.

कोल्हान क्षेत्र को इससे बड़ा लाभ मिलेगा-डॉ. आरके सिंह

पर्यावरणविद् डॉ. आरके सिंह ने स्पष्ट किया कि इस सेंचुरी की घोषणा से न तो औद्योगिक क्षेत्र को नुकसान होगा और न ही खनन पर कोई सीधा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तय की गयी सीमा (चौहद्दी) में बदलाव संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा के घने वन क्षेत्र के 57,000 हेक्टेयर को अभयारण्य घोषित करने का फैसला सुनाया है. इस क्षेत्र के भीतर लगभग 13,000 हेक्टेयर में ससांगदाबुरु संरक्षण रिजर्व का गठन भी प्रस्तावित है. कोल्हान क्षेत्र को इससे बड़ा लाभ मिलेगा. जंगल और वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय खनिज संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित होगा. उन्होंने यह भी कहा कि सारंडा में बड़े पैमाने पर खनिजों का दोहन किया जा रहा था और इनका निर्यात भी हो रहा था, जबकि यह संपदा स्थानीय विकास के लिए उपयोग होनी चाहिए.

सारंडा के संरक्षण की पुरानी मांग

1970 में बने सारंडा के वर्किंग प्लान में ब्रिटिश शासनकाल में इस क्षेत्र को सेंचुरी के रूप में चिह्नित किया गया था. विधायक सरयू राय ने भी विधानसभा में तीन बार इसकी अधिसूचना पेश करने की मांग की थी, लेकिन वन विभाग को वह अधिसूचना कहीं नहीं मिली. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई सुनवाई हुई. एक सुनवाई में शीर्ष अदालत ने झारखंड के वन सचिव को कड़ी फटकार लगायी और 23 जुलाई तक अभयारण्य का प्रारूप प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

सरकार ने शुरू की तैयारी

याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रारूप की तैयारी शुरू हो चुकी है और 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इसे पेश किया जायेगा. राज्य सरकार ने सारंडा वन प्रमंडल में क्षेत्र सीमांकन की प्रक्रिया आरंभ कर दी है.

दसवां अभयारण्य बनने की ओर

सारंडा को झारखंड का 10वां वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया जाना है. इसमें अंकुआ, घाटकुड़ी, कुदलीबाद, करमपदा, सामठा, तिरिलपोसी और थलकोबाद ब्लॉकों को शामिल किया गया है. वहीं ससांगदाबुरु रिजर्व में 13,603.80 हेक्टेयर क्षेत्र प्रस्तावित है.

खनन कंपनियों की बढ़ी चिंता

अभयारण्य की सीमा में घाटकुड़ी, अंकुआ और करमपदा जैसी प्रमुख खदानें शामिल हैं. चाईबासा क्षेत्र में अनुमानित चार बिलियन टन लौह अयस्क का भंडार है, जिससे अगले 20-30 वर्षों में लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का खनिज प्राप्त किया जा सकता है. इससे सरकार को पांच लाख करोड़ रुपये की रॉयल्टी मिलने की संभावना है. अभयारण्य क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर 57,519.41 हेक्टेयर करने के कारण कंपनियों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि अब खनन क्षेत्र इसके अंतर्गत आ सकता है. कानून के मुताबिक, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की सीमा से 10 किमी की परिधि को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया जाता है, जहां खनन कार्य प्रतिबंधित होता है. वर्तमान में चाईबासा क्षेत्र में 90 से अधिक खदानें हैं, जिनमें से आठ ही सक्रिय हैं. कई खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, जो अब इस फैसले के कारण अधर में लटक सकती है.

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