होम विदेश जिस परमाणु के लिए ईरान-इजराइल में कट रहा बवाल, उसे बर्बाद करेंगे ये दो सुपरपावर देश

जिस परमाणु के लिए ईरान-इजराइल में कट रहा बवाल, उसे बर्बाद करेंगे ये दो सुपरपावर देश

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पुरानी परमाणु पनडुब्बियों की रीसाइकिलिंग

जिस परमाणु के लिए ईरान-इजराइल में इतना बवाल मचा हुआ है. उसी के लिए ब्रिटेन और अमेरिका परेशान हैं कि कैसे अपनी पुरानी परमाणु पनडुब्बियों और युद्धपोतों को रीसाइकल करने की प्रक्रिया शुरू करें. यह काम न सिर्फ महंगा है, बल्कि इसमें दशकों का समय भी लग सकता है. हाल ही में ब्रिटेन की रॉयल नेवी की HMS स्विफ्टश्योर पनडुब्बी को रीसाइकल करने का काम शुरू हुआ है. यह पहली बार है कि ब्रिटेन ने अपनी किसी परमाणु पनडुब्बी को पूरी तरह रीसाइकल करने का जिम्मा उठाया है.

HMS स्विफ्टश्योर 1973 में सेवा में आई थी और 1992 में इसे रिटायर कर दिया गया था. अब इसे स्कॉटलैंड के रोसिथ डॉकयार्ड में रीसाइकल किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को बेबकोक इंटरनेशनल कंपनी संभाल रही है. जिसे 2026 तक यह प्रोजेक्ट पूरा करना है. इस पनडुब्बी का रिएक्टर पहले ही हटाया जा चुका है, लेकिन हाल ही में इसका फिन (पंख) हटाने का काम पूरा हुआ. यह प्रक्रिया ब्रिटेन के सबमरीन डिस्मैंटलिंग प्रोजेक्ट का हिस्सा है.

क्या हैं ब्रिटेन की चुनौतियां

ब्रिटेन के पास 22 रिटायर्ड परमाणु पनडुब्बियां हैं. जिनमें से सात रोसिथ और 15 डेवनपोर्ट डॉकयार्ड में रखी गई हैं. इनके अलावा चार और पनडुब्बियां जल्द रिटायर होने वाली हैं. ब्रिटेन की रॉयल नेवी के पास एक्टिव पनडुब्बियों से ज्यादा रिटायर्ड पनडुब्बियां हैं. इन सभी को खत्म करने में 2030 तक का समय लग सकता है. ऐसे में ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि इन 22 रिटायर्ड और आठ एक्टिव पनडुब्बियों के रखरखाव और निपटान पर अगले 100 साल में 7.5 बिलियन पाउंड (लगभग 800 अरब रुपये) खर्च होंगे. 1980 से 2017 तक इनके रखरखाव पर 500 मिलियन पाउंड पहले ही खर्च हो चुके हैं. यह खर्च हर साल बढ़ रहा है, क्योंकि नई पनडुब्बियां भी रिटायर हो रही हैं.

अमेरिका की स्थिति और भी ज्यादा खराब

अमेरिका की स्थिति और भी खराब है, क्योंकि उसका परमाणु पनडुब्बी बेड़ा ब्रिटेन से कहीं बड़ा है. अमेरिका ने अब तक 116 परमाणु पनडुब्बियों और कुछ परमाणु युद्धपोतों को रीसाइकल किया है. लेकिन अभी भी कई जहाज, जैसे ओहियो-क्लास पनडुब्बियां और USS एंटरप्राइज सुपरकैरियर, रिटायरमेंट की कतार में हैं. USS एंटरप्राइज को 2012 में रिटायर किया गया था, लेकिन इसका निपटान शुरू होने में एक दशक से ज्यादा समय लग गया. अब इसे अलबामा के मोबाइल शहर में चार से पांच साल में रीसाइकल किया जाएगा. जिसका खर्च 536.7 मिलियन डॉलर (लगभग 45 अरब रुपये) होगा. पहले अनुमान था कि इसमें 15 साल और 1.3 बिलियन डॉलर लग सकते हैं. अमेरिका की USS निमित्ज जो 10 सुपरकैरियर्स की लीड वेसल है अपनी अंतिम तैनाती पर है. इसका निपटान भी 700 मिलियन डॉलर (लगभग 58 अरब रुपये) तक का खर्च ला सकता है. यह प्रक्रिया कई साल चलेगी और भविष्य में हर निमित्ज-क्लास कैरियर के साथ दोहराई जाएगी.

क्या है रीसाइक्लिंग की पूरी प्रक्रिया

परमाणु पनडुब्बियों और जहाजों को रीसाइकल करना आसान नहीं है. इसमें तीन चरण होते हैं:
प्रायमरी लेवल में पहले कम रेडियोएक्टिव हिस्सों को हटाया जाता है. जिनमें लो-लेवल रेडियोएक्टिव वेस्ट (LLW) हो सकता है.
इंटरमीडिएट-लेवल में रेडियोएक्टिव वेस्ट (ILW) को हटाया जाता है. जिसमें जहाज को पूरी तरह से साफ किया जाता है.
और सबसे लास्ट में बाकी हिस्सों को रीसाइकल किया जाता है. जिसमें 90% सामग्री दोबारा इस्तेमाल हो सकती है.
यह प्रक्रिया न सिर्फ महंगी है, बल्कि इसे सेफली और पर्यावरण के अनुकूल करना भी जरूरी है. ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ही इस चुनौती से जूझ रहे हैं, क्योंकि उनके पास रिटायर्ड जहाजों की संख्या बढ़ती जा रही है.

दोनों देशों को रिटायर्ड जहाजों से जूझना पड़ेगा

परमाणु पनडुब्बियों और युद्धपोतों का निपटान ब्रिटेन और अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह न सिर्फ आर्थिक बोझ है, बल्कि पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है. HMS स्विफ्टश्योर और USS एंटरप्राइज जैसे प्रोजेक्ट भविष्य के लिए रास्ता दिखा रहे हैं, लेकिन इस काम को तेज और किफायती बनाने की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो दोनों देशों को 21वीं सदी में भी रिटायर्ड जहाजों की कतार से जूझना पड़ सकता है.

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