होम राजनीति Bihar Election 2024 lalu yadav tejashwi yadav chirag paswan family Politics Heat Up Over Nepotism । बिहार विधानसभा चुनाव: परिवारवाद का मुद्दा और राजनीतिक दलों की स्थिति

Bihar Election 2024 lalu yadav tejashwi yadav chirag paswan family Politics Heat Up Over Nepotism । बिहार विधानसभा चुनाव: परिवारवाद का मुद्दा और राजनीतिक दलों की स्थिति

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पटना. इन दिनों बिहार की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा तेजी से उछल रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले परिवारवाद के मुद्दे पर खूब चर्चा हो रही है. सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दल परिवारवाद के रास्ते पर चलेंगे या इस बार परिवारवाद से दूर रहेंगे. आखिर परिवारवाद बिहार की राजनीति में इतना हावी क्यों है, यह सवाल राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ आम जनता भी जानना चाहती है. लेकिन, इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना आसान नहीं है क्योंकि शायद ही कोई ऐसा दल होगा जिसमें परिवारवाद न हो.

दरअसल, विधानसभा चुनाव होने वाला है और कई मुद्दे आएंगे और जाएंगे. लेकिन, फिलहाल बिहार की राजनीति में परिवारवाद को लेकर खूब चर्चा हो रही है. राजनीतिक दल एक-दूसरे पर परिवारवाद के बहाने हमला भी कर रहे हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि शायद ही कोई राजनीतिक दल इससे अछूता है. इससे सवाल उठता है कि आखिरकार परिवारवाद से कोई दल अछूता क्यों नहीं है. लेकिन, इस सवाल से पहले यह जानना जरूरी है कि परिवारवाद पर राजनीति तो खूब हो रही है. लेकिन, दलों में परिवारवाद की स्थिति क्या है. परिवारवाद को लेकर पहले बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति को समझिए.

कौन-कौन हैं परिवारवाद के उदाहरण

RJD: लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती, तेज प्रताप यादव, रोहिणी आचार्य, जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह.

LJP: रामविलास पासवान, चिराग पासवान, मृणाल पासवान, पशुपति कुमार पारस, प्रिंस पासवान.

JDU: अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी, रामसेवक हजारी के पुत्र महेश्वर हजारी, बैद्यनाथ महतो के पुत्र सुनील कुमार, जयंत राज के पुत्र जनार्दन मांझी.

BJP: मदन जायसवाल के पुत्र संजय जायसवाल, शकुनि चौधरी के पुत्र सम्राट चौधरी, जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा, सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर.

HAM: जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन, देवेंद्र मांझी दामाद, ज्योति देवी समधन, दीपा मांझी पुत्रवधू.

कांग्रेस: दिलकेश्वर राम के पुत्र राजेश राम, अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश.

पार्टियों के अपने-अपने तर्क

जाहिर है, तमाम राजनीतिक पार्टियों में ऐसे कई उदाहरण हैं जो परिवारवाद को लेकर सवाल खड़े करते हैं. चुनावी साल में दल परिवारवाद पर हमला तो बोलेंगे. लेकिन, इससे अलग राह लेंगे ऐसा नहीं लगता है. तभी तो सभी दलों का अपना-अपना तर्क भी है. JDU प्रवक्ता अंजुम आरा कहती हैं कि परिवारवाद को लेकर राजनीति हो रही हैं. लेकिन, नीतीश कुमार पर कोई आरोप नहीं लगा सकता. कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस नेता जनता के आशीर्वाद से राजनीति करते हैं. वहीं RJD प्रवक्ता एजाज़ अहमद कहते हैं कि लालू परिवार को जनता का आशीर्वाद मिला है, इसलिए परिवारवाद की बात नहीं आती.

परिवारवाद से बाहर क्यों नहीं निकल पाते हैं क्षेत्रीय दल?

दरअसल, बिहार की राजनीति में राजनीतिक दलों की मजबूरी है कि वे परिवारवाद पर हमला तो बोलते हैं. लेकिन, इससे बाहर नहीं जा पाते हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों में एक परिवार से जुड़ी पार्टी है जो अपनी पार्टी और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए परिवारवाद का सहारा लेती है. नीतीश कुमार अपवाद माने जा सकते हैं, लेकिन उनकी पार्टी में भी परिवारवाद के कई उदाहरण मिल जाएंगे.

संजय कुमार कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर BJP पर परिवारवाद का आरोप कम लगता है. लेकिन, बिहार में BJP में भी ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे. परिवारवाद का आरोप नेताओं के जातीय वोट को भुनाने की कोशिश होती है. बहरहाल, सियासी तापमान गर्म है और परिवारवाद का मुद्दा गहरा रहा है. अब नजरें टिकी हुई हैं विधानसभा चुनाव पर कि राजनीतिक दल परिवारवाद को लेकर क्या रुख रखते हैं. लेकिन, इससे बाहर जा पाना मुश्किल लगता है.

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