ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका ने मिसाइलों और 30,000 पाउंट के बंकर-बस्टर बमों से हमला किया है। इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ईरान ने कहा कि अमेरिका ने हद पार कर दी है। अब ईरान ने कतर में अमेरिकी ठिकानों पर हमला बोला है।
ईरान-इजरायल युद्ध के बीच ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि अमेरिका 22 साल पुरानी गलती दोहरा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अमेरिका गलती कर रहा है। वह दुनिया का चौधरी नहीं है, जो यह तय करेगा कि क्या गलत है और क्या सही है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई संगठन बनाए गए जो वैश्विक मंच पर सभी की भूमिका तय करते हैं। यह संयुक्त राष्ट्र और यूएनएससी द्वारा तय किया जाता है। इराक युद्ध के दौरान भी अमेरिका ने इसी तरह की गलती की थी और उस समय भारतीय संसद ने इसकी निंदा की थी।”
सिन्हा ने बताया कि जब 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला बोल दिया था, तब भारतीय संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में लंबी बहस और चर्चा के बाद अमेरिका के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया था। बता दें कि उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और यशवंत सिन्हा विदेश मंत्री थे। तब लोकसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित इराक पर अमेरिकी नेतृत्व वाले हमले की निंदा की गई थी और गठबंधन सेना की त्वरित वापसी की मांग की गई थी।
इराक से गठबंधन सेना की वापसी की मांग की गई थी
उस वक्त लोकसभा से पारित प्रस्ताव के दूसरे हिस्से में लिखा गया था,” सैन्य कार्रवाई के माध्यम से इराक में सत्ता परिवर्तन अस्वीकार्य है। यह सदन शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और इराक से गठबंधन सेना की त्वरित वापसी की मांग करता है।” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसी तरह से सैन्य ताकत के बाल पर ईरान में सत्ता परिवर्तन के संकेत दे रहे हैं।
अब ट्रंप ईरान में चाह रहे सत्ता परिवर्तन
ट्रंप ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमले के बाद अब तेहरान में ‘सत्ता परिवर्तन’ की संभावना के बारे में विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर तेहरान अमेरिकी बलों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो उस पर और हमले किए जाएंगे। ट्रंप ने ईरान में ‘‘सत्ता परिवर्तन’’ की संभावना के बारे में भी विचार किया है जबकि उनके प्रशासन के अधिकारियों ने पहले संकेत दिया था कि वे ईरान के साथ वार्ता फिर से शुरू करना चाहते हैं।
बता दें कि इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका भी कूद पड़ा है। उसने ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमला किया है जिससे इस क्षेत्रीय संघर्ष के और फैलने का खतरा बढ़ गया है। इस अभियान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम में क्या बचा है और उसकी कमजोर सेना कैसे इस हमले का जवाब दे सकती है? इस संघर्ष के बढ़ने से तेल की कीमतों में उछाल आया है।