पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रम्प को नामित किया.
पाकिस्तान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज देने के लिए नॉमिनेट किया है. हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में लंच पर मुलाकात के बाद से ही चर्चा थी कि खुद डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा करने के लिए पाकिस्तान से कहा है.
अब सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान द्वारा नॉमिनेट किए जाने के बाद ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार मिल जाएगा, इसकी पूरी प्रक्रिया कैसी है? आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान क्यों ट्रंप की नजर में हीरो बनना चाहता है?
इसलिए ट्रंप की नजर में हीरो बनना चाहता है पाकिस्तान
1- अमेरिका की सख्ती से बचाव
अमेरिका लंबे समय से पाकिस्तान का साथ देते आया है पर राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका-पाकिस्तान के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थीं. पाकिस्तान की हरकतों से आजिज आकर जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका ने उस पर काफी नकेल कस दी थी. इसलिए एक बार फिर से अमेरिका की नजदीकी हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने ट्रंप का नाम नॉमिनेट किया है.
2- आर्थिक संकट से उबारने की उम्मीद
पाकिस्तान बुरी तरह से कंगाली से जूझ रहा है. इसलिए उसे अमेरिका से आर्थिक मदद की उम्मीद है. जो बाइडन के बाद अब ट्रंप पाकिस्तान पर दरियादिली दिखा रहे हैं. इसलिए पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिका उसे आर्थिक संकट से उबारेगा.
3- कश्मीर मुद्दे पर साथ
पाकिस्तान आए दिन कश्मीर मुद्दा उठाता रहता है. डोनाल्ड ट्रंप भी बड़बोलेपन में इस मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कह चुके हैं, जबकि भारत हमेशा से इससे इनकार करता रहा है. ऐसे में पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिका कश्मीर के मुद्दे पर उसका साथ देगा.
4- हथियारों का संकट दूर करना
कंगाल हो चुके पाकिस्तान के पास हथियारों का भी संकट है. ऐसे में ट्रंप ने पाकिस्तानी जनरल से उसके बंदरगाहों और सैन्य ठिकानों तक पहुंच मांग ली है. पाकिस्तान को लगता है कि इसके बदले अमेरिका उसे हथियारों से लैस करेगा, जबकि वह भूल गया है कि अमेरिका पाकिस्तान के सबसे करीबी दोस्त चीन का दुश्मन है और ट्रंप चीन पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
5- जंग में अमेरिका का साथ
शीतयुद्ध या अफगानिस्तान पर अमेरिका की दबंगई, सभी मामलों में पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया है. अब ईरान के खिलाफ भी अमेरिका पाकिस्तान का इस्तेमाल करना चाहता है. ऐसे में पाकिस्तान को लगता है कि भविष्य में अगर भारत या ईरान आदि से उसकी लड़ाई होगी तो अमेरिका उसके साथ खड़ा होगा. इसीलिए अपने सबसे करीबी दोस्त चीन के खिलाफ जाकर भी पाकिस्तान ट्रंप की नजरों में हीरो बनना चाहता है.

पाकिस्तान ने किया ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट
कौन नोबेल का शांति पुरस्कार कर सकता है नॉमिनेट?
नोबेल शांति पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने अलग-अलग देशों के बीच भाईचारा बढ़ाने, हथियारों की संख्या घटाने और शांति सम्मेलनों के आयोजन आदि में विशेष योगदान दिया हो. इसके विजेता या विजेताओं का नाम नॉर्वेजियन नोबेल समिति चुनती है. इस पुरस्कार के लिए शांति में अहम योगदान देने वाले किसी भी व्यक्ति, संगठन अथवा आंदोलन को नॉमिनेट किया जा सकता है.
किसके पास नॉमिनेट करने का अधिकार?
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हर कोई किसी को भी नॉमिनेट नहीं कर सकता है. किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री या राष्ट्रीय सभा के सदस्य किसी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कर सकते हैं. इनके अलावा नीदरलैंड के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, हेग में स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के सदस्य, एलइंस्टीट्यूट डी ड्रोइट इंटरनेशनल के सदस्य, महिला अंतरराष्ट्रीय लीग के अंतरराष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, रेक्टर और निदेशक के साथ ही शांति अनुसंधान संस्थान और विदेश नीति संस्थान के निदेशक भी इस पुरस्कार के लिए किसी को नॉमिनेट कर सकते हैं.
नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त लोग, नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त संगठन के मुख्य निदेशक, नॉर्वेजियन नोबेल समिति के सदस्य, नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सलाहकार आदि के पास भी नॉमिनेशन का अधिकार होता है.
ऐसे होता है विजेता का चयन
नॉमिनेशन के लिए नॉर्वेजियन नोबेल समिति की ओर से एक ऑनलाइन फॉर्म लॉन्च किया जाता है. इसकी तैयारी सितंबर में शुरू हो जाती है. फरवरी तक नॉमिनेशन इस समिति तक पहुंचने होते हैं. फरवरी-मार्च में कुल मिले फॉर्म में से नाम शॉर्टलिस्ट किए जाते हैं. इसके लिए समिति देखती है कि जिसको नॉमिनेट किया गया है, उस व्यक्ति ने शांति के लिए क्या और कितना काम किया है. फिर मार्च और अगस्त के बीच शॉर्ट लिस्ट किए गए नामों पर सलाहकार की राय ली जाती है. कई दौर की बैठकें होती हैं और अक्तूबर में बहुमत के आधार पर शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम पर मुहर लगा दी जाती है. 10 दिसंबर को यह पुरस्कार दिया जाता है.

नोबेल शांति पुरस्कार
पाकिस्तान के नॉमिनेशन पर पुरस्कार मिलना आसान नहीं
डोनाल्ड ट्रंप का नाम पाकिस्तान ने साल 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भले ही नॉमिनेट कर दिया है पर उनके लिए यह पुरस्कार पाना आसान नहीं है. सबसे पहले तो पाकिस्तान जैसे देश की ओर से नॉमिनेट किया जाना ही संदेह पैदा करता है, क्योंकि पाकिस्तान खुद आतंकवाद को बढ़ावा देता है. दूसरी ओर पाकिस्तान का आधार यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था, तब ट्रंप ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने में मदद की थी. असल में इसका दावा खुद ट्रंप ने भी किया था जो झूठा निकला था. असलियत यह थी कि पाकिस्तान की गुहार पर भारत ने संघर्ष विराम किया था.
पाकिस्तान ही नहीं, खुद अमेरिका पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का दावा करने वाले ट्रंप का देश अमेरिका शुरू से ही यूक्रेन को हथियार देकर युद्ध को और भड़काता रहा है. इजराइल के हमास पर हमले और फिर ईरान पर हमले में अमेरिका का बड़ा हाथ रहा है. हथियारों की संख्या कम करने के बजाय दूसरे देशों को हथियार बेचना अमेरिका की रणनीति रही है. ऐसे में ट्रंप को शांति पुरस्कार मिलना आसान नहीं है.
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