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तेल का खेल: ईरान के एक ही फैसले से हिल गया अमेरिका, चीन से लगाने लगा गुहार

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होर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर टेंशन में आ गया अमेरिका.

इजराइल और ईरान के बीच छिड़े जंग में अमेरिका की एंट्री के बाद क्षेत्र में स्थिति बेहद खराब हो गई है. ईरान की ओर से अमेरिका के हमले के बाद बड़ा खामियाजा भुगतने को लेकर धमकी दी जा चुकी है. इस बीच ईरान ने धमकी दी है कि फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाला संकरे जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देगा, लेकिन इस धमकी से दुनिया के कई देश दबाव में आ गए हैं जिसमें खुद अमेरिका भी शामिल है. अमेरिका ने इसके लिए चीन से गुहार लगाई है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कल रविवार को चीन से आह्वान करते हुए कहा कि वह ईरान को होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करे. अमेरिका की ओर से रविवार को ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमले किए जाने से ईरान बेहद खफा है और उसने क्षेत्र में अमेरिकी लोगों को टॉरगेट करार दिया और साथ में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दे डाली है.

होर्मुज जलडमरूमध्य से 20 फीसदी तेल-गैस

फॉक्स न्यूज के “संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स विद मारिया बार्टिरोमो” शो पर विदेश मंत्री रुबियो की टिप्पणी ईरान के प्रेस टीवी की ओर से यह रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद आई है कि ईरानी संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने को लेकर जुड़े उपाय को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसके माध्यम से वैश्विक तेल और गैस का करीब 20 फीसदी प्रवाह होता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में भी कार्य करने वाले मार्को रुबियो ने कहा, “मैं बीजिंग में चीनी सरकार को इस बारे में उनसे बात करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, क्योंकि वे अपने तेल के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “यदि वे ऐसा करते हैं, तो यह एक और भयानक गलती होगी. अगर वे ऐसा करते हैं, तो यह उनके लिए आर्थिक खुदकुशी (economic suicide) होगी और हमारे पास इससे निपटने के लिए विकल्प हैं, लेकिन अन्य देशों को भी इस पर विचार करना चाहिए. इससे अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को हमारी तुलना में बहुत अधिक नुकसान होगा.”

रुबियो ने कहा कि जलडमरूमध्य को बंद करने का कदम एक बहुत बड़ा कदम होगा, जिसके लिए अमेरिका और अन्य देशों की प्रतिक्रिया बहुत अहम होगी. हालांकि वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने इस मसले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है.

ईरान ने कार्रवाई की तो पड़ेगा महंगाः अमेरिका

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उसने 14 बंकर-बस्टर बमों, 2 दर्जन से अधिक टॉमहॉक मिसाइलों और 125 से अधिक सैन्य विमानों का इस्तेमाल करके ईरान के मुख्य परमाणु ठिकानों को “नष्ट” कर दिया. हालांकि अमेरिका की ओर से किया गया ये हमला मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष को और तेज कर सकता है.

वाशिंगटन की ओर से किए गए हमले के बाद तेहरान ने खुद का बचाव करने की कसम खाई है. अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने रविवार को ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई “उनकी अब तक की सबसे बड़ी गलती होगी.” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.

ईरान की धमकी के बीच भारत में कैसी स्थिति

ईरान की ओर से होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद किए जाने की धमकी के बीच भारत में भी चिंता बढ़ती जा रही है. पश्चिम एशिया से आने वाले तेल के लिए यह बेहद ही अहम समुद्री रास्ता है, जिसे ईरान अब अपने परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के बाद बंद करने की धमकी दे रहा है.

बढ़ते तनाव के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्ते के लिए आपूर्ति है और उन्हें कई अन्य रूटों से ऊर्जा आपूर्ति मिलती रहेगी. हम अपने नागरिकों को ईंधन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे.”

चीन ने की अमेरिकी हमले की निंदा

दूसरी ओर, चीन ने ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि यह हमला संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है और पश्चिम एशिया में तनाव को और बढ़ाता है. साथ ही बीजिंग ने ‘संघर्ष में शामिल सभी पक्षों, खासतौर से इजराइल’ से जल्द से जल्द सीजफायर पर पहुंचने, आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संवाद शुरू करने की अपील की.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने एक पोस्ट में कहा कि ईरान पर अमेरिका के हमलों और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सुरक्षा प्रावधानों के तहत आने वाले ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी की चीन कड़ी निंदा करता है. अमेरिका की ये कार्रवाईयां यूएन चार्टर के मकसद और सिद्धांतों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन भी है. इस हमले से पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया है.

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