राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की इलाहाबाद पीठ ने तीन जून, 2024 को जेएएल के खिलाफ कर्ज समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। कंपनी को ऋण के भुगतान में चूक के बाद दिवाला कार्यवाही में ले जाया गया था। कंपनी पर कुल 57,185 करोड़ रुपये का दावा कर किया जा रहा है।
Jaiprakash Associates: जेपी समूह की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के शेयरों की ट्रेडिंग फिलहाल बंद है। बीएसई पर दी गई जानकारी के मुताबिक, दिवालिया प्रोसेस से गुजर रही कंपनी के शेयर में अंतिम बार इसी महीने 16 जून को कारोबार हुआ था, तब इसकी कीमत 3.40 रुपये थी। अब इस सप्ताह इस शेयर में कारोबार हो सकता है। दरअसल, कंपनी ने हाल ही में कहा कि उसने अपनी चल रही कॉर्पोरेट दिवाला प्रक्रिया के तहत समाधान योजना प्रस्तुत करने की तारीख 24 जून, 2025 है। पहले यह 9 जून था लेकिन फिर इसकी समय सीमा 15 दिन बढ़ा दी गई।
कंपनी ने क्या कहा था
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने एक नियामक फाइलिंग में कहा, “…समाधान योजनाओं को प्रस्तुत करने के लिए 9 जून 2025 की वर्तमान समय सीमा को बढ़ाने के लिए कई पीआरए से प्राप्त अनुरोधों के परिणामस्वरूप, कॉर्पोरेट देनदार के ऋणदाताओं की समिति के सदस्यों ने अपेक्षित बहुमत के साथ 24 जून, 2025 तक समाधान योजनाओं को प्रस्तुत करने के लिए समय बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।” यह कदम कई संभावित समाधान आवेदकों (पीआरए) के अनुरोधों के बाद उठाया गया है, जो अपने प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए अधिक समय मांग रहे हैं। ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने आवश्यक बहुमत के साथ विस्तार को मंजूरी दे दी।
खरीदने की रेस में अडानी समेत कई दिग्गज
बता दें कि जेपी समूह की प्रमुख कंपनी जेएएल के अधिग्रहण में 25 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इनमें अडानी एंटरप्राइजेज, वेदांता और पतंजलि आयुर्वेद के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके अलावा टॉरेंट पावर लिमिटेड, डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी, जेपी इन्फ्राटेक, जिंदल इंडिया पावर, जिंदल पावर लिमिटेड, कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स लिमिटेड, पीएनसी इन्फ्राटेक और ओबेरॉय रियल्टी भी इसके इच्छुक दावेदारों में शामिल हैं। जेएएल का व्यवसाय रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, आतिथ्य और इंजीनियरिंग एवं निर्माण क्षेत्रों में फैला हुआ है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की इलाहाबाद पीठ ने तीन जून, 2024 को जेएएल के खिलाफ कर्ज समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। कंपनी को ऋण के भुगतान में चूक के बाद दिवाला कार्यवाही में ले जाया गया था। कंपनी पर कुल 57,185 करोड़ रुपये का दावा कर किया जा रहा है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)