13 जून को इजरायल ने ईरान पर पहली स्ट्राइक के साथ शुरू हुई जंग ने क्रूड ऑयल की कीमतों को वैश्विक स्तर पर हिला दिया है। इस संघर्ष से भारत और अन्य आयातक देशों के लिए मुश्किल हो सकती है। जंग ने सिर्फ इरान और इजरायल को ही प्रभावित नहीं किया, बल्कि क्रूड ऑयल की कीमतों में 13% तक का इजाफा हुआ है। इसके बाद वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल बढ़ गई है। भारत समेत क्रूड ऑयल का आयात करने वाले देशों में भी चिंता बढ़ी है।
इजरायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागीं जिसके बाद क्रूड ऑयल की कीमत $69.36 से सीधा उछलकर $74.23 प्रति बैरल पहुंच गई। सप्ताहभर में तेल की कीमतों में रॉकेट रफ्तार देखने को मिल रहा है। अनुसार, ईरान-इजरायल युद्ध के कारण तेल में $10 प्रति बैरल तक का ‘रिस्क प्रीमियम’ जुड़ गया है।
भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85% आयात करता है, जिससे हर $1 का इजाफा सीधे रुपये की कीमत, पेट्रोल-डीजल के रेट और महंगाई दर पर असर डालता है। जब तेल $80 पार करेगा तो सरकारी सब्सिडी पर दबाव बढ़ेगा और राजकोषीय घाटा भी गहराएगा। एनर्जी विश्लेषक अम्बुज अग्रवाल कहते हैं, “यह केवल तेल की नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक जोखिम है। जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचेगा, कीमतें और बढ़ सकती हैं।”