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अरहर उत्पादन में गिरावट, आयात में बढ़त, समर्थन मूल्य पर समीक्षा

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केंद्र सरकार दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के मौजूदा फॉर्मूले की समीक्षा करने की योजना बना रही है। इस पहल में खासतौर पर तुअर (अरहर), उड़द, चना और मसूर जैसी प्रमुख दालें शामिल हैं। यह कदम आत्मनिर्भरता मिशन के तहत उठाया जा रहा है, जिसका लक्ष्य अगले एक दशक में भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। वर्तमान एमएसपी प्रणाली में उत्पादन लागत को ही आधार बनाया गया है, लेकिन यह किसानों को अधिक दालें उगाने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पा रही है।

जब न्यूनतम समर्थन मूल्य, इनपुट लागत के बराबर या उससे कम हो जाता है तो किसान दालों की खेती से पीछे हटते हैं, जिससे देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि किस प्रकार से एमएसपी को मौजूदा बाजार मांग और उपभोग पैटर्न से जोड़ा जाए ताकि फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा मिले। उपभोक्ता मामले, कृषि और सहकारिता मंत्रालय इस दिशा में एक साझा योजना तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।

वर्तमान परिदृश्य में अरहर दाल के उत्पादन में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2021 में देश में अरहर का उत्पादन 43 लाख टन था, जो 2025 तक घटकर 35 लाख टन पर आ गया है। इसके साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी 914 किलो से घटकर 823 किलो हो गई है।

इस बीच, दालों के आयात में भी भारी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 26 लाख टन दालों का आयात किया था, जबकि 2024-25 में यह आंकड़ा 67 लाख टन तक पहुंच गया है।

अफ्रीकी देशों और म्यांमार से बढ़ा हुआ अरहर का आयात भी इस समस्या को और भी गंभीर बनाता है।

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