पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में कांग्रेस ने अपनी रणनीति को तेज कर दी है. पार्टी न केवल खुद को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि गठबंधन में सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को पीछे छोड़कर ड्राइविंग सीट पर आने की कोशिश में है. कांग्रेस की नई रणनीति और लगातार नए कार्यक्रम इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं कि वह बिहार में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है.
कांग्रेस ने संगठनात्मक विस्तार और मजबूती पर जोर देते हुए कई कदम उठाए हैं. पार्टी ने RJD की ‘माई बहिन मान’ योजना को न सिर्फ अपनाया, बल्कि उस पर तेजस्वी यादव से ज्यादा सक्रियता दिखाई. राहुल गांधी ने अति पिछड़ा और दलित समुदायों को साधने के लिए बिहार में लगातार दौरे किए, जिससे वह तेजस्वी से ज्यादा प्रभावी दिख रहे हैं. इसके अलावा, कांग्रेस ने बिहार के सभी 38 जिलों में रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर एक साथ धरना देने की योजना बनाई है, जो उसकी आक्रामक रणनीति का हिस्सा है.
कांग्रेस ले रही बड़े फैसले?
कांग्रेस ने संगठन में भी बड़े बदलाव किए. लालू यादव के करीबी रहे अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर दलित नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. साथ ही, बिहार प्रभारी को बदलकर पार्टी ने साफ संदेश दिया कि वह अपनी शर्तों पर काम करेगी. ये कदम कांग्रेस की स्वतंत्र रणनीति और गठबंधन में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश को दर्शाते हैं.
नहीं हो रहे साझा कार्यक्रम
महागठबंधन में कांग्रेस, RJD, भाकपा-माले और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी शामिल हैं. लेकिन, गठबंधन की तीन बैठकों में न तो सीट बंटवारे पर सहमति बनी, न ही साझा कार्यक्रम तय हुए. सभी दल अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं. RJD अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक को मजबूत करने में लगा है, जबकि माले दलित और ग्रामीण मतदाताओं पर फोकस कर रहा है. दूसरी ओर, कांग्रेस अपनी रणनीति के जरिए गठबंधन में अग्रणी भूमिका निभाने की कोशिश में है.
किसने क्या कहा?
बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “कांग्रेस की रणनीति सिर्फ दिखावा है. वे गठबंधन में भ्रम पैदा कर रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता NDA को चुनेगी. वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस की यह रणनीति सहयोगियों को कमजोर करने की है, लेकिन इसका खामियाजा उसे नतीजों में भुगतना पड़ेगा।” RJD प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि गठबंधन एकजुट है, लेकिन कांग्रेस को सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने दावा किया कि उनकी रणनीति जनता के मुद्दों को उठाने की है, न कि किसी को पीछे छोड़ने की.
क्या महागठबंधन आएगी दरार?
कांग्रेस की यह रणनीति बिहार में उसकी स्थिति को कितना मजबूत करेगी, यह तो चुनावी नतीजे बताएगें. लेकिन, इतना साफ है कि कांग्रेस गठबंधन में अपनी ताकत बढ़ाने और RJD को पछाड़ने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ रही. क्या यह रणनीति उसे बिहार में नई सियासी जमीन देगी, या गठबंधन में दरार पैदा करेगी, यह समय बताएगा.